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पाँव तो धरिये ज़मीं पर सब समझ में आएगा।

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Hindi Poetry

पाँव तो धरिये ज़मीं पर सब समझ में आएगा।

कौन रस्ता सूए दोज़ख ,कौन घर पहुंचाएगा।

 

सारी धरती नाप कर भी सब्र तो आया नहीं,

अब कहाँ जाकर रहेंगे वक़्त ही बतलायेगा।

 

जो लड़े  औज़ार से खुद उसका हो अंजाम क्या,

है बिलआखिर तय न आजर बुत कोई गढ़ पायेगा।

 

आरज़ूओं  का सफ़र होता है कब  मंजिल पजीर,

एक शय पाते  ही ये दिल दूसरी पर आएगा।  

 

प्यास कब तिश्नालबों की देखती हैं बारिशें,

अब्र बहरे बेक़रां पर ही बरस के जाएगा। 

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