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***हद-ऐ-रुखसार…….***
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हद-ऐ-रुखसार से गर न चिलमन हटाई होती
ख़ुदा कसम …हमारी नज़र न लडखडाई होती
जी लेते आपकी ठोकरों में हम पैमाना बन कर
गर अपनी नजर से हमें इक बार पिलाई होती
सुशील सरना
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हद-ऐ-रुखसार से गर न चिलमन हटाई होती
सुशील सरना
bahut khoob.deevan banata hai to deevana bana de,
varna kahin duniya ye tamasha n bana de begum akhtar ki gayi gazal yaad kara di aap ne.
Thanks a lot SN Singh saahib aapkee kaavyatmak prashansa ka