« ***उस माँ से मिला दे मुझे ……*** | पाँव तो धरिये ज़मीं पर सब समझ में आएगा। » |
गजल
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अमीर की अट्टालिका में तो नित्य पूनम झांकती है
गरीब की कुटिया यदा कदा ही चांदनी फांकती है
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मेहनतकश इंसानों के माथे से पसीना बहता है
कुछ विरलों की किस्मत अमीरी की गाड़ी हांकती है
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मुनासिब वक्त में दोस्ती का दम सभी भरते हैं
मुफलिसी की घड़ी ही ,सच्ची दोस्ती आंकती है
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वक्त के मुताबिक़ लोगों के मिजाज बदलते हैं
माता ही आँचल में ममता के सितारे टांकती है
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मजनूँ की नज़र में लैला बला की हसीना थी
बद्सूरती में भी नजरें ख़ूबसूरती ही आंकती है
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संतोष भाऊवाला
संतोष भाऊवाला
simple but depicting reality.
Commends
badii sundar ye rachanaa bahut man bhaayii hai
Par ise gaane gungunaane laya me thodii refinement jaroori hai….