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राम नवमी

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राम नवमी

राम का चरित्र है अगाध सागर

डुबकी लगा कर भर लो  गागर

 

गुण मोती-रत्नो का अक्षय भण्डार

लोक ध्वजा वाहक, है जीवन धार

 

चैत्र शुक्ल नवमी को चढ़ा सूर्य शिखर

प्रकटे मानव देह धर, धरा गई निखर

 

गूंजे गीत राम जन्म के, घर घर में

सूर्य हिले नहीं बदला माह एक दिन में

 

ऋषियों के त्याग को किया उजागर

त्रेता युग में देव संस्कृति का विस्तार कर

 

नारी के शील,अस्तित्व के रक्षक

निशाचर मारे , जो थे नर भक्षक

 

कौल भील किरात निषाद के सखे

प्रेमवश मात शबरी के जूठे बेर चखे

 

सीता व्यष्टि है तो प्रजा समष्टि

व्यष्टि का त्याग किया समष्टि हेतु

 

आज सत्ता लोलुपों को न कोई तुष्टि

समष्टि का  करते  त्याग व्यष्टि हेतु

 

प्रेम के प्रतिमान, पवित्रता के प्रवाहमान

त्याग की प्रतिमूर्ति, अंतिम आसरा श्रीराम

संतोष भाऊवाला

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