« Thousand and one | भोर से पहले का अँधेरा मुझे बड़ा लुभाता है » |
@ कक्का का चक्का @ l
Hindi Poetry |
@ कक्का का चक्का @
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आने-जाने, चलने-चलाने का साधन है चक्का l
छुडाता, जिताता, हंसाता औ’ नखरे दिखलाता छक्का ll
वाशिंग पाउडर कपड़ों में झलका देता है झक्का l
भोर-भ्रमण स्वस्थ है रखता, पैसा लगे न टक्का ll
नयी बहू ने ससुर के सम्मुख पूरा चेहरा ढ़क्का l
चलते-चलते ठोकर खाई, लगा जोर का धक्का ll
आठ हैं बजने ही वाले अब सूर्यास्त है पक्का l
बची-खुची नमकीन है जिसका मारलो जल्दी फक्का ll
मुस्लिम भाई मज़हबी दौर में जाते मदीना-मक्का l
मेलों में जब भगदड़ हो हम होते हक्का-बक्का ll
चक्का चलता रहेगा यूं ही समझलो मेरे कक्का l
तब तक नहीं रुकेगा वह जब तक न लगता नक्का ll
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“वर्णमालाक्रमानुसार”
* च छ झ ट ढ़ ध न प फ ब म ह *