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जो कुछ भी था दरमियाँ याद है
Anthology 2013 Entries |
जो कुछ भी था दरमियाँ याद है
तेरे सुर्ख होठों की नरमियाँ याद है
तेरी सर्द आँहों की गरमियाँ याद है
कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी
जो कुछ भी था दरमियाँ याद है….
याद है बिन तेरे वो शहर का सूनापन
संग तेरे वो गाँव की गलियाँ याद है
याद है वो महकता हुआ गुलशन…
वो खिलती हुई कलियाँ याद है….
याद है तेरी आँखों की वो मस्तियाँ
तेरी जुल्फों की वो बदलियाँ याद है
कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी
जो कुछ भी था दरमियाँ याद है ….
याद है कल वो बीता हुआ………..
वो हारी हुई बाज़ी, पल वो जीता हुआ
संग तेरे लम्हों का यूँ गुजरना याद है
याद है बीन तेरे मौसम वो रीता हुआ
याद है वो तेरी आँखों का काजल
वो तेरी जुल्फों का लहराता बादल याद है
कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी
वो तेरे इश्क में मन भँवरा पागल याद है
तेरे सुर्ख होठों की नरमियाँ याद है
तेरी सर्द आँहों की गरमियाँ याद है
कुछ भी तो नहीं भूले हम आज भी
जो कुछ भी था दरमियाँ याद है….!
दिनेश गुप्ता ‘दिन’ [https://www.facebook.com/dineshguptadin]
bahut sundar aur manbhaavan rachana..
sab yaad hai iseeliye hii Ye dil aabaad hai
Hardik abhinandan
Dhanvyad sir
Too good. Every word is full of feelings. Excellent.