« क्यूँ लिखता है श्रृंगार का ये कवि शब्दों से अंगार | ***भोले कर तू ऐसा चमत्कार…..*** » |
मेरी आँखों मे मुहब्बत के मंज़र है [शायरी]
Anthology 2013 Entries |
मेरी आँखों मे मुहब्बत के मंज़र है
मेरी आँखों मे मुहब्बत के जो मंज़र है
तुम्हारी ही चाहतों के समंदर है
मे हर रोज चाहता हुं कि तुझसे ये कह दुं मगर
लबों तक नहीं आता, जो मेरे दिल के अन्दर है
मेरे दिल मे तस्वीर है तेरी, निगाहों मे तेरा ही चेहरा है
नशा आँखों मे मुहब्बत का, वफ़ा का रंग कितना सुनहरा है
दिल की कश्ती कैसे निकले अब चाहत के भँवर से
समंदर इतना गहरा है, किनारों पर भी पहरा है
खोल दे पंख मेरे कहता है परिंदा, अभी और उड़ान बाकी है
ज़मी नहीं है मंजिल मेरी, अभी पूरा आसमान बाकी है
लहरों की ख़ामोशी को समंदर की बेबसी मत समझ ऐ नादाँ
जितनी गहराई अन्दर है, बाहर उतना तूफान बाकी है
मन तेरा मंदिर है, तन तेरा मधुशाला
आंखे तेरी मदिरालय, होठ भरे रस का प्याला
लबों पर ख़ामोशी, यौवन मे मदहोशी
कैसे सुध मे रहे फिर बेसुध होकर पीने वाला
मेरी आँखों मे अब भी, मुहब्बत की वो ही कहानी है
दिल के सागर मे लहरें उम्मीद की, धडकनों मे चाहत की रवानी है
मे हर पल तुझे भूलना चाहता हूँ मगर मालूम है मुझको
तुम्हारी याद तो हर साँस मे आनी है, तुम्हारी याद तो हर साँस मे आनी है
dinesh gupta ‘din’ [https://www.facebook.com/dineshguptadin]
bahut khoob
Ati sundar aur manbhaavan
pyaar ke ahsaas kaa pyaaraa saa ye kathan
Is Sundar rachanaa ke liye hardik abhinandan
Dhanyavaad Vishvnanad ji