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अक्सर भूल जाता हूँ मैं…..
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मुझे मिलना किसी से हो
वो बात कोई जो ज़रूरी हो
जाना मुझे कहीं जब हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
रूठा अगर कोई मुझसे हो
मानना अगर उसे ज़रूरी हो
आवाज़ देनी किसी को हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
क़सम खानी कोई जब हो
तौबा किसी बात से करनी हो
आदत कोई ऐसी जिसे छोड़ना हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
दिल लगाना किसी से हो
ख़्वाब सजाना किसी का हो
वादा निभाना किसी से हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
मदद किसी की करनी हो
कंधे पर हाथ रखना हो
मुस्कुरा कर बात करनी हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
सच बोलना ज़रूरी जहाँ हो
आवाज़ कोई जब उठानी हो
बढ़कर क़दम जब उठाना हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
सहारा किसी को देना हो
हाथ थामना किसी का हो
ढांढस जब कोई बंधानी हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
सिला किसी बात का लेना हो
सहकर दर्द कोई जताना हो
एहसान करके कोई दोहराना हो
अक्सर भूल जाता हूँ मैं
Vaah vaah
alag see aur badhiyaa
ye style aur aandaaze-bayaan bhii bahut man bhaayaa
Hearty commends
“Aksar bhool jaataa huun main”
yaa aksar Hool de jaataa huun main …..
aur p4poetry par aanaa bhii kyaa aksar aisaa hii ?…. 🙂
badi maarak bhool hai bahi
waah… bohot khoob…
bohot achha likha h aapne…