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रहता है फेसबुक पे कभी बुक न फेस की
Hindi Poetry |
रहता है फेसबुक पे कभी बुक न फेस की
रहता है फेसबुक पे कभी बुक न फेस की
भावी टिकी इन्हीं पे हुई अपने देस की .
विद्या के इक अलावा सभी में हैं होशियार
रहते फिराक़ में हैं परीक्षा में गेस की.
हॉस्टल के घोस्ट मिलते फ़क़त रेस्तरां में रोज़
जंचती ज़रा भी इनको न रोटी है मेस की.
चिपके वो इस क़दर कि मरे बिन जुदा न हों
कुर्सी पे ज्यूँ उंडेल के डिबिया सरेस की.
दिल्ली में दनदनाते हैं नक्षत्र की तरह,
है जस्तजू फ़िज़ूल कहीं इनके बेस की.
एलान ये किया कि गरीबी मिटायेंगे
मिटने लगे गरीब जुगत ऐसी पेश की .
अच्छी थी पालिसी कि दिए टीवी लैप टॉप
दी भीख,नौजवान को रोज़ी न दे सकी
Bahut badhiyaa, marmik tathaa arthpoorn
Badhaaii
isee par
Netaa ye itane doobe kyuun apane hii lobh me
Bin ghoos ke n chalatii aaj dilli desh kii …. 🙁
thanks and vaah vaah
dil chune wali in panktiyo pr hardik badhayi
thanks a lot.