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“अजन्मी बहन का भाई को संदेश”

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अजन्मी कन्या भ्रूण की ,भाई को पाती. . .

हर बरस सावन का महीना आएगा
संग अपने राखी का त्यौहार लाएगा

खिल उठेंगी कलाई भाई की, रंग बिरंगी राखी से
लेकिन कुछ बदनसीबों की कलाई, सूनी ही रह जाएगी

सूनी कलाई तेरी ,जब तुझको चिढाएगी
हे भाई देखना, तुझे मेरी बहुत याद आएगी

बांध राखी, बहन भाई से रक्षा की करती है आश
रक्षा वचन देने का भाग्य, रहा न अब तेरे पास

ग्लानी और अफसोस से ,तेरा दिल भर आएगा
मेरे न होने का सबब, अगर तू जान जाएगा

तेरी(बेटे) चाहत मे ही , माँ-बाप ने ये दुष्कृत्य किया
भ्रूणावस्था मे ही मुझको मार, दुनिया से रुख़सत किया

जानती हुं, जीवन मे तेरे , रहेगी मेरी कमी
कम न होगी ऐसे मौकों पर, आँखों से तेरी नमी

भाई पर होता है कर्ज ,कि वो बहन का पाणिग्रहण करे
इस जनम मे तो हे भाई, तू ऋणी रह जाएगा

गम न कर, बेटी बनाकर, देना तू मुझको जनम
कन्यादान के कर्ज से, मुक्त तू हो जाएगा

भाई-बहन के पावन रिश्ते का सुख, वो न भोग पाऐंगे
जिनके माँ-बाप, कोख मे ही ,अपनी बेटी को मरवाऐंगे

बेटियों का जन्म, इस धरा पे, बेवजह नही है
ईश्वर का वरदान हैं, बेटियाँ सज़ा नही हैं

सुरS

4 Comments

  1. s n singh says:

    sundar sandeshvahika rachna, kash log cheten .

  2. Vishvnand says:

    Bahut sundar rachanaa
    sanvedansheel aur arthpoorn
    hardik badhaaii

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