« रात के राही भटकते बेसहारा देखिये. | Kissing touch » |
उम्मीद
Hindi Poetry |
चुन चुन के लाये थे उन्हे हर चुनाव मे
क्या मोल दिया, आज पड़े हमे किस भाव मे
लूट रहें हैं हर गरीब के पेट की भूख
कब जा के भरेगा इनकी लालच का संदूक
अपनी जान निछावर की थी, लाये वो आज़ादी
क्या पता था उन्हे, देश की होगी ऐसी बरबादी
वक़्त ने कैसा लिया ये आम आदमी का इम्तेहां
जीना ही भूल गया वो, अब रहता है परेशान
कुछ उम्मीद दे, कुछ रहम कर मेरे भगवान
कुछ पल तो खुशी से जी ले, मेरे देश का इन्सान
vartaneegat galtiyan maza bigaad rahi hain, sudhariye please!
Thank u so much
आपकी इस हिंदी रचना के सुन्दर प्रयास का जवाब नही है
रचना अपने अन्दाज़ेबयाँ में सुन्दर और मनभावन है, बहुत भायी ….!
बस निम्न हिंदी शब्दों को edit कर सुधारने की जरूरत है ….!
हार्दिक बधाई और उत्साहित हो अब आपसे और हिन्दी रचनाओं की भी “उम्मीद” है
मोले = मोल, संधूक = संदूक, अप्नी = अपनी
Sir, I am extremely thankful to you for pointing out the lacuna in what I put up here.
You have been kind enough to identify & rectify, word by word. Thank you sir. I appreciate
bahut sundar aur umda kavita… 🙂
Shukriya