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***ऐ दिल ……***
Hindi Poetry |
ऐ दिल ……
ऐ दिल ..तू क्यूँ व्यर्थ में परेशान होता है
हर किसी के आगे क्यूँ ..व्यर्थ में रोता है
यहाँ भला कौन ..तेरा दर्द समझ पायेगा
अश्क तो यहाँ अरमानों के साथ सोता है
ऐ दिल ..तू क्यूँ व्यर्थ में परेशान होता है ……
ये सांझ नहीं अपितु ..सांझ का आभास है
पल पल क्षरण होते .रिश्तों का आगाज़ है
भावों की कन्दराओं में बोलता सन्नाटा है
पाषाणों में कहाँ ..प्यार का सृजन होता है
ऐ दिल ..तू क्यूँ व्यर्थ में परेशान होता है ……
ऐ शलभ तू क्यूँ किसी लौ पे .आसक्त होता है
क्यूँ अन्धकार में ..अपना अस्तित्व खोता है
ये दुनिया तो बस .इक स्वार्थ की महफ़िल है
खुशी के आवरण में यहाँ तो बस ग़म रोता है
ऐ दिल ..तू क्यूँ व्यर्थ में परेशान होता है
हर किसी के आगे क्यूँ ..व्यर्थ में रोता है
सुशील सरना
ये दुनिया तो बस .इक स्वार्थ की महफ़िल है
खुशी के आवरण में यहाँ तो बस ग़म रोता है
bahut sunder
Thanks for ur so nice comment Rai Suresh jee
aapkii ye alag style kii rachanaa hai
ye badhiyaa aabhaas hotaa hai
Bahut manbhaayii ye rachanaa
manvaa khush ho hardik badhaaii detaa hai …!
thanks a lot Sir jee aapkee is hridygraahee prashansa ka – jamana badal rhaa hai hmain style badalna pdega-ha ha ha
bahut khub sushil ji..
andaazen banya wakai alag hai…
Rachna ke prati aapke sneh ka haardik aabhaar Leena Goswami jee
bahut badhiya sir…, beautiful poem…
Thanks Komal Nirala jee for ur so sweet comment