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इतना डर क्यों रहे आप हैं।
Hindi Poetry |
बो ज़हर क्यों रहे आप हैं।
तोड़ घर क्यों रहे आप हैं।
छोड़ना ही नहीं जब क़फ़स ,
तोल पर क्यों रहे आप हैं।
असलहा दे के वो पूछते
मार मर क्यों रहे आप हैं।
चोट जो भी है हमको लगी,
आह भर क्यों रहे आप हैं।
हैं जहाँ के विजेता अगर,
इतना डर क्यों रहे आप हैं।
very nice
dhanyavad aap ka.
फ़सल से काटे गये बंदे दोनो ही संप्रदाय के
नफरत के बीज़ देश मे हुक्मरानों ने ऐसे बोये हैं
durust farmaya aap ne suresh ji