« न आयी वो सुहानी शाम अब तक | Option » |
कुछ लोग
Hindi Poetry |
चाँद के टुकड़े से रात
सीले हुए सुबह के कागज़ पर
रोज़ कलमें फूंककर
लिखते हैं
सिनेमा का परदा नहीं लगाते
कि सालों की धूप
जम जाती है
पलकों पर
कुछ लोग.
– यशवर्द्धन गोस्वामी
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Hindi Poetry |
चाँद के टुकड़े से रात
सीले हुए सुबह के कागज़ पर
रोज़ कलमें फूंककर
लिखते हैं
सिनेमा का परदा नहीं लगाते
कि सालों की धूप
जम जाती है
पलकों पर
कुछ लोग.
– यशवर्द्धन गोस्वामी