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***बिन रूह के ……***
Hindi Poetry |
बिन रूह के ……
पारसा है कौन यहाँ पर और गुनहगार कौन है
….कौन है रहबर यहाँ पर और ….रहज़न कौन है
………ख़ाक है संगीन हकीकत इंसान रहरव है ..यहाँ
………….ये जिस्म इंसान का बिन रूह के आज मौन है
सुशील सरना
thanks a lot for ur comment (the name is not readable) Sir