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वहाँ

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Hindi Poetry

जिस मुकाम पर
आंसू ढलते ढलते मुस्कान बन जाएँ
और मुस्कुराहटें आँखों से छलकती जाएँ
जहां रह जाएँ न दर्द के निशाँ
जहां तितलियों में तब्दील हो जाएँ सारे अरमां
गरम चाय को नसीब हों शामें सुकूनी
तेरी ज़ुल्फ़ों को सहलाएं हवाएं बातूनी
कोई चुटकुला
कोई कहानी
कोई नज़्म
या कोई बेसुरा गाना
किसी न किसी बहाने से
मैं तुम्हे बस हंसाता रहूँ..
जिस मुकाम पर
इश्क़ का नाम भूल जाएँ हम
आओ चलें वहाँ किसी weekend पर.

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