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क़ायदे बाक़ायदा मोड़े गए।

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Hindi Poetry

दायरे हमसे कहाँ तोड़े गए।
अज्म करके बीच में छोड़े गए।

साथ ले जाना न था मुमकिन मगर
सब दमे आख़ीर तक जोड़े गए।

मिल गए मिट्टी में सारे शहसवार
और हवा हो वक़्त के घोड़े गये ।

बात अपनों की अगर आयी कभी
क़ायदे बाक़ायदा मोड़े गए।

हम पे चढ़ हासिल हुईं ऊंचाइयां
हम ही माने राह के रोड़े गए।

हैं पके होगा इलाज इनका न यूँ,
ये नहीं फोड़े अगर फोड़े गए।

निकले सारे वादे उसके खोखले,
जिसकी जानिब लोग थे दौड़े गए।

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