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अर्थ अनन्तर में खुलता है, वश में करते पहले शब्द।

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Hindi Poetry

काले जितने होते जाते दिल,हों साफ़ सुनहले शब्द
अर्थ अनन्तर में खुलता है, वश में करते पहले शब्द।

कलम मसोसे दिल बैठी है आतंकित अवमूल्यन से ,
हैं दहले कलदार गए हो निकले अदना नहले शब्द।

प्रमुख हो गए दृश्य श्रव्य अब अंकन पठन उपेक्षित हैं
सिमट रही कागज़ की नदिया बह ले जितना बह ले शब्द।

अहसासो जज़्बात अवांछित छिछलेपन का दौर रवां
लुप्त भाव परिपाक, खोखले उसकी रहे जगह ले शब्द।

रंग हीन मन-प्राण, भावना-वृत्ति विरक्त विमूढ़ हुई –
जितनी, उतनी ही रंगों में संवरे सजे रुपहले शब्द।

अंग भंग सह रहा, विपर्यय अर्थों का भी झेल रहा,
समय चक्र के आवर्तन में देखो क्या क्या सह ले शब्द।

2 Comments

  1. siddha nath singh says:

    thanks for your words of appreciation Sir.

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