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आप मियाँ मशहूर बहुत हैं.
Hindi Poetry |
सत्ताएं मगरूर बहुत हैं
स्वार्थ सिद्धि हित क्रूर बहुत हैं.
उछलेगा कीचड़ लाजिम है,
आप मियाँ मशहूर बहुत हैं.
चले अढ़ाई कोस नवों दिन,
अब सब थक के चूर बहुत हैं.
“सच सच” बोल ज़ुबान न लरजे
सच से बाबा दूर बहुत हैं.
हैं चिराग़ सोने चांदी के,
क्यों कमरे बेनूर बहुत हैं.
छेड़ोगे गर फूट पड़ेंगे
दर्द से दिल भरपूर बहुत हैं.
उनको अपना होश कहाँ है
मुद्दत से मख्मूर बहुत हैं.
रहबर रहज़न इक जैसे हैं
अहले सफ़र मज़बूर बहुत हैं
vaah, badhiyaa aur marmik
Khud ke jaal me phanse hain ye sab
vaade bhrast magroor bahut hain ….!
thanks a lot