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लब महक जाँय जिसकी खुशबू से,आज अशआर वो सुनाना है।
Hindi Poetry |
सामने आज रु ए जानां है, आलमे बज़्म शायराना है
लब महक जाँय जिसकी खुशबू से,आज अशआर वो सुनाना है।
ज़ुल्फ़ खोले हुए हैं बैठे वो, दिल हुआ जा रहा दिवाना है
जाम आँखों के उनकी पीने हैं,शर्त इतनी, न लड़खड़ाना है।
देखता है वो बस लगन दिल की जिसको अपना उसे बनाना है
फ़र्क़ इससे न कुछ पड़े उसको,कौन जाहिल है,कौन दाना है।
बिजलियाँ कौंधती तबस्सुम की,हजरते होश को बचाना है
ऐ दिले नातवां तहम्मुल रख,इश्क़ का बोझ भी उठाना है।
है हदे इख़्तियार अपना बस, हुक्म उसका हमें बजाना है
कारोबारे वफ़ा यही ठहरा- खुद को खोना है उसको पाना है।
lambee bahar kee sundr gazal jiska hr sher behad khoobsoorat hai…haardik badhaaee aa.Singh saahib
lambee bahar kee sundr gazal jiska hr sher behad khoobsoorat hai…haardik badhaaee aa.Singh saahib
lambee bahar kee sundr gazal jiska hr sher behad khoobsoorat hai…haardik badhaaee aa.Singh saahib
dhanyavaad!