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***सब कहते हैं गुलाब हूँ मैं ***
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……….सब कहते हैं गुलाब हूँ मैं
मुहब्ब्तों का .अहसास हूँ मैं
इक शबनम की प्यास हूँ मैं
नींदें तरसें ..जिसको हरदम
उस शबाब की …आस हूँ मैं
………..सब कहते हैं गुलाब हूँ मैं
हर चाहत का .जवाब हूँ मैं
धड़कनों की ..किताब हूँ मैं
मधु पलों का .मैं प्रतीक हूँ
प्रेयसि का इक ख्वाब हूँ मैं
………..सब कहते हैं गुलाब हूँ मैं
……………..सब कहते हैं गुलाब हूँ मैं …।
सुशील सरना