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तिरछी नज़रों से मुझे प्यार से तकनेवाले.
Hindi Poetry |
प्यार को प्यार बताने से झिझकनेवाले
तुझपे क़ुर्बान वफ़ा मेरी परखनेवाले.
क्या हुई बात बताओ कि ये बुलबुल सारे
सी के लब बैठे हैं हर चंद चहकनेवाले.
कोई तो बात थी जालिम की निगाहों में ज़रूर
हम न थे वरना बिना बात बहकनेवाले.
है बज़ा आप अंधेरों के तरफ़दार रहें,
दिन जो निकला तो नहीं ऐब ये ढ़ंकनेवाले.
हैं दिए जिसने कहें क्यों न उसे जाने बहार ,
फूल यादों के ये दिन रात महकनेवाले.
तुझको मालूम भी है दिल पे असर होता क्या
तिरछी नज़रों से मुझे प्यार से तकनेवाले.
खुश हैं हम तुम तो ज़माने से हमें क्या लेना,
बकते रहते है युँही लोग तो बकनेवाले.