« मुझे रोने दो सुख से ….!(गीत) | कुछ हो चला है। » |
“देव-कलेवा”
Hindi Poetry |
“देव-कलेवा”
***********
चाँदी के इस थाल में भरे
मोतीचूर के लड्डू और
पास ही पड़ा है
पावन गंगाजल गड्डू।
श्री गणेश हैं आने वाले
पेट भरके खाने वाले
खाखा कर सब आते जाते
श्री गणेश कहीं न जाते ।
एक थाल खाली होने पर
नया थाल मँगवाते।
ताकते रहते अन्य देवगण,
जो खाने में शरमाते।
गणेशजी के सम्मुख जब
सारा भंडारा हुआ समाप्त
देरी से आनेवालों को अब
कुछ भी होसका न प्राप्त।
****जय श्री गणेश गंग` गणेश ****
********