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मुझे रोने दो सुख से ….!(गीत)
Hindi Poetry, Podcast |
मुझे रोने दो सुख से (गीत)
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे, दिल के हर इक कोने कोने ,
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे …..!
इस बड़ी भरी दुनियां मे , इतने छोटे दिल क्यों होते हैं ,
बेकार की छोटी बातों मे, इतने झगडे क्यों होते हैं ,
सब देख मुझे आदत सी है, चुपचाप अकेले ही रोने…
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे, दिल के हर इक कोने कोने …..!
दिल ने अपमान सहे कितने, अभिमान मुझे पर इसका है,
चुपचाप सभी अपमानों को, असुओं से धोया है मैंने..
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे, दिल के हर इक कोने कोने ……!
ऐसे न कभी मैं काम करूँ, औरों को जिससे दुःख पहुंचे,
दिल ने थी खाई कसम कभी, रो कर तेरी ही यादों मे………
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे, दिल के हर इक कोने कोने …..!
मुझे रोने दो सुख से, दुःख मे… !
“ विश्वनन्द ”
Sincere heart cry for the welbeing of all .
Thanks Kusum
Thank you so very much for your kind & considered response towards the feelings in the Geet