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***मैं सांझ नहीं प्रभात नहीं ***
Hindi Poetry |
मैं सांझ नहीं …प्रभात नहीं
मैं भूली बिसरी …बात नहीं
मैं प्रणय पंथ …का पंथी हूँ
मैं शूल में उलझा पात नहीं
मैं सांझ नहीं प्रभात नहीं
मैं भूली बिसरी बात नहीं ….
मैं हार नहीं ..मैं जीत नहीं
मैं विरहन की …प्रीत नहीं
मैं पुष्प गंध हूँ उपवन की
मैं अनकही कोई बात नहीं
मैं सांझ नहीं प्रभात नहीं
मैं भूली बिसरी बात नहीं ……
मैं प्रेम पंथ का …शूल नहीं
मैं पावन प्रेम की भूल नहीं
मैं मधुऋतु हूँ …जीवन की
मैं शाख का टूटा ..पात नहीं
मैं सांझ नहीं प्रभात नहीं
मैं भूली बिसरी बात नहीं …
सुशील सरना