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हद से बढ़ी जो प्यास तो आंसू बहा लिए

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Hindi Poetry

हद से बढ़ी जो प्यास तो आंसू बहा लिए
जब भूख ने सताया नए ज़ख्म खा लिए

अामादा तर्क़े इश्क़ पे होगा नहीं ये दिल
अच्छा यही है आप इसे तोड़ डालिये

उलझे तो इस तिलिस्म से मुमकिन न फिर निज़ात
माया मरज़ शदीद है इसको न पालिये

रोटी भी इल्म दे न सका नस्ल नौ को जब,
छोड़ी कलम क़िताब औ’ खंजर उठा लिए

दो पल जहाँ थकान मिटे ठौर जो मिले
कितना चलूँ बताइये सर पे बला लिए

करना अगर है प्यार तो हाज़िर गुलाम है,
करनी हो दुश्मनी तो मियाँ कल पे टालिये

हमको पता चला कि हमें रोग है कोई,
फिरने लगे हक़ीम कई जब दवा लिए

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