« अब जो बाज़ार में खड़े ही हैं | दर्प न अच्छा , बोला दर्पन ! » |
हद से बढ़ी जो प्यास तो आंसू बहा लिए
Hindi Poetry |
हद से बढ़ी जो प्यास तो आंसू बहा लिए
जब भूख ने सताया नए ज़ख्म खा लिए
अामादा तर्क़े इश्क़ पे होगा नहीं ये दिल
अच्छा यही है आप इसे तोड़ डालिये
उलझे तो इस तिलिस्म से मुमकिन न फिर निज़ात
माया मरज़ शदीद है इसको न पालिये
रोटी भी इल्म दे न सका नस्ल नौ को जब,
छोड़ी कलम क़िताब औ’ खंजर उठा लिए
दो पल जहाँ थकान मिटे ठौर जो मिले
कितना चलूँ बताइये सर पे बला लिए
करना अगर है प्यार तो हाज़िर गुलाम है,
करनी हो दुश्मनी तो मियाँ कल पे टालिये
हमको पता चला कि हमें रोग है कोई,
फिरने लगे हक़ीम कई जब दवा लिए