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आज भी अच्छा हो हमको आप “ओवरलुक” करें

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Hindi Poetry

ये शहर है आईनों का मत इधर का रुख करें
ये दिखाएगा सचाई क्यूँ उजागर दुख करें
आप अब तक आसमां थे और हम पांवों की धूल
कोर्निश क्यूँ आप जाने आज यूँ झुक झुक करें
था हमारा साया तक भी आप को तो नाग़वार
आज भी अच्छा हो हमको आप “ओवरलुक” करें
अब इमारत की मुक़म्मल है मरम्मत लाजमी
सिर्फ कंगूरों पे मत बेकार की ठुक ठुक करें
छुप न पायेगी हक़ीक़त कर लो जो कारीगरी
सच खुलेगा आँकड़े सौ बार चाहे “कुक” करें
बारहा खा खा के धोखे भी नहीं खुलती है आँख,
मुंतज़िर अहले वतन फिर आप कुछ कौतुक करें
इन चिरागों के भरोसे रात कटने से रही
तेल पी जो बेतहाशा दम ब दम भुक भुक करें
उनके आगे बोलने की भूल कर जुर्रत न कर
आँख हो आतिश फ़िशानी वो जुबां चाबुक करें
आप लायक़ लाख हों मिलती न इससे नौकरी
लोग कहते है ये जादू आज बस ताल्लुक करें

2 Comments

  1. ye shahar hai aaina …sundar gajal hai badhai

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