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***बन के शरर ….***
Hindi Poetry |
बन के शरर ….
देखते ही देखते स्याही शब् की हसीं लगने लगी
….वो आगोश में हमें मुहब्बत की ज़मीं लगने लगी
………बन के शरर ख़्वाबों को ..रोशन कर दिया जिसने
…………..वो हमारी उम्मीदों का दिल को यकीं लगने लगी
सुशील सरना
Wah Sushil ji !
thanks for ur sweet comment Renu Rakheja jee