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खिलखिला कर न यूँ हँसा करिये

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Hindi Poetry

ग़ौर हालात पर ज़रा करिये
सोचिये,फिर कहीं लिखा करिये.

अब हैं मुहरे, मुहावरे बदले
नासमझ बन के बस तका करिये.

सिर्फ अपनी न हांकते रहिये
बात अगले की भी सुना करिये.

दिल सुलगने लगे हैं यारों के ,
खिलखिला कर न यूँ हँसा करिये.

अपने अपने सभी के दावे हैं
किसको मानें किसे मना करिये.

चाँद बन कर ज़हन के आँगन में
रोशनी रात दिन किया करिये.

हौसलों के अलाव ठन्डे हैं
फूंकिए आग कुछ हवा करिये

ज़िंदगी हो रही उबाऊ सी
कोई दिलचस्प तज़किरा करिये

3 Comments

  1. SUDHA GOEL says:

    dilchasp kavitaa.

  2. Jose says:

    Reading this makes my denosiics easier than taking candy from a baby.

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