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खिलखिला कर न यूँ हँसा करिये
Hindi Poetry |
ग़ौर हालात पर ज़रा करिये
सोचिये,फिर कहीं लिखा करिये.
अब हैं मुहरे, मुहावरे बदले
नासमझ बन के बस तका करिये.
सिर्फ अपनी न हांकते रहिये
बात अगले की भी सुना करिये.
दिल सुलगने लगे हैं यारों के ,
खिलखिला कर न यूँ हँसा करिये.
अपने अपने सभी के दावे हैं
किसको मानें किसे मना करिये.
चाँद बन कर ज़हन के आँगन में
रोशनी रात दिन किया करिये.
हौसलों के अलाव ठन्डे हैं
फूंकिए आग कुछ हवा करिये
ज़िंदगी हो रही उबाऊ सी
कोई दिलचस्प तज़किरा करिये
dilchasp kavitaa.
thanks for dilchasp comment!
Reading this makes my denosiics easier than taking candy from a baby.