« याद आता रहा निरदई देर तक | मॉनसून की फुहार…कवितामयी बौछार! » |
“एक दिन, हर दिन..पिता के नाम!”
Hindi Poetry |
गहराइयाँ ऊँचाइयाँ देते हैं वो सुध को
बच्चों के सुख के आगे भूल जाते
हैं ख़ुद को
वो नहीं समझते कि इसमें कुछ
महान है
उनकी जान हम, पर उनसे हमारा
जहान है
अपने सर धूप धरे छाँव देते मुझे
और तुझ को
बच्चों के सुख के आगे भूल जाते
हैं ख़ुद को
वो दूरी में भी पास हैं, हम में ही उनको
आस है
हम ख़ुश तो खिलें वो, दु:ख पे हमारे
उदास हैं
वो कृष्ण बने गीता लिए जितवाते
हर युद्ध को
बच्चों के सुख के आगे भूल जाते
हैं ख़ुद को
गहराइयाँ ऊँचाइयाँ देते हैं वो सुध को
बच्चों के सुख के आगे भूल जाते
हैं ख़ुद को
Vaah vaah, kyaa baat hai,
ati sundar bhaavpoorn arthpoorn rachanaaa,
Pita aur putr ke beech kii bhaavnik sanvedanaa
Rachanaa ke liye hardik abhivaadan ….!
Thanks dada…ek aap hee hain jo itna sneh aur dulaar lutaate hain!