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पता किसी को नहीं सिर्फ अपनी बारी का

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Hindi Poetry

सबब पता न भले उनको बेक़रारी का
निभाने आ ही गए फ़र्ज़ गमगुसारी का

तमाम माल मता चोर ले गए चुपके
सवांग करते रहे लोग पहरेदारी का

चले चलो कि उमीदें लिए खड़े हैं लोग
न इन्तज़ार करो यूँ खड़े सवारी का

वहां पे जाना तो सबको है अपनी बारी पर
पता किसी को नहीं सिर्फ अपनी बारी का

बना रहम का फिरे बुत वो आम पब्लिक में
अकेले पाये तो ढब देखिये शिकारी का

मिलाने खाक़ में आमादा है शहर हमको
इनाम ये है मिला अपनी खाक़सारी का

One Comment

  1. Vishvnand says:

    Vaah vaah bahut khuub aur badhiyaa …!

    तमाम माल मता चोर ले गए चुपके
    सवांग करते रहे लोग पहरेदारी का
    machaayen shor ab chalane n dete hain ye sadan
    pol jo khulanii kaiin hai inkii bhrashtaachaarii kaa….!

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