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सच बोलने पे सख़्त मनाही रखी गई
Hindi Poetry |
अहले जुनूं की जब भी गवाही रखी गई ahle junun-bhavuk
सच बोलने पे सख़्त मनाही रखी गई
बदख़्वाहियों से बाज़ न आये अदू कभी badkhvahi-ashubhakankshi,adu-rival
हाँ सामने तो लब पे दुआ ही रखी गई
मुफ़लिस के हाड़ माँस से चुनते रहे महल
अच्छी बिना ए अज़्मते शाही रखी गई binae azmate shahi-shasak kee mahanata kee buniyad
कड़वे सचों की ओर तवज़्ज़ो न ठीक थी
कड़वे सचों से कोर निगाही रखी गई tavazzo-dhyan,qornigahi-andhapan
आला वक़ील और दलीलों के ज़ोर पर
जुर्मों की जम के पुश्त पनाही रखी गई pushtpanahi-backing
तिश्नालबों के दिल की तसल्ली के वास्ते
टेबल पे सीलबन्द सुराही रखी गई tishnalab-thirsty
सुख आरज़ी औ’ दुःख कीअक्सर दराज़ उम्र
ऐसी रिवायतें क्यूँ इलाही रखी गई aarzi-kshanik.daraz-lambi