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हाथ से क्यों तेरे आईना गिर गया

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Hindi Poetry

इक यहाँ गिर गया इक वहॉँ गिर गया
शाख से फूल होकर जवां गिर गया

एक मुद्दत हुई गाँव देखे हुये
कल सुना वो पुराना मकां गिर गया

जो दिखा रूबरू यार तू ही तो है
हाथ से क्यों तेरे आईना गिर गया

सिर्फ़ अब तो सलामत लिफ़ाफ़ा बचा
ख़त जो अंदर था जाने कहाँ गिर गया

ये न समझो मियाँ बस हमीं तुम गिरे
जिसको कहते थे सब आसमां गिर गया

रोग हिर्सो हवस का कुछ ऐसा लगा
होके हर आदमी नातवां गिर गया

आज मिलता है क्या और अख़बार में
यां फलां गिर गया वां फलां गिर गया

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