« »

प्यार पत्रों से परवान चढ़ता नहीं

1 vote, average: 5.00 out of 51 vote, average: 5.00 out of 51 vote, average: 5.00 out of 51 vote, average: 5.00 out of 51 vote, average: 5.00 out of 5
Loading...
Hindi Poetry

प्यार पत्रों से परवान चढ़ता नहीं
खत न लिख ख़त कोई आज पढ़ता नहीं

जाने कैसी झिझक दरमियाँ है खड़ी
वो मुक़ाबिल है पर पाँव बढ़ता नहीं

उसको अहसास है दिल है नाज़ुक़ मेरा
यूँ ही झूठे बहाने वो गढ़ता नहीं

सीखे उसने हैं शायद सियासत के गुर
वरना इल्जाम औरों पे मढ़ता नहीं

रंग उसका चढ़ा रूह पर इस क़दर
रंग दूजा कोई और चढ़ता नहीं

Leave a Reply