हो गई बात आई गई।
जो कहानी सुनाई गई, थी कहीं से उठाई गई।
बात बन ही न पाई कभी, बात ऐसी बनाई गई।
कान उनने न हरगिज़ धरे हो गई बात आई गई।
थे गुनहगार वो, गर्दनें दूसरों की नपाई गई।
आप थे ही हसीं इस क़दर आँख किससे हटाई गई।
पेशक़दमी से क़ासिर रहे दी जिन्हें पेशवाई गई।
अब कहाँ ढूंढते हो कँवल झील पर फ़ैल काई गई।
झूठ का मर्तबा देख कर संकुचित हो सचाई गई।
एक विश्वास तोडा गया एक मस्जिद ढहाई गई।
एक भाषा बिगाड़ी गई एक सीता सताई गई।
दिल ही दिल में तो दी बद्दुआ मुंह पे दी गो बधाई गई।
आप का तो बिगड़ना था क्या हो मेरी जगहंसाई गई।
जाऊं क़ुरबान हर योजना जो चली, कोस ढाई गई।
जैसी दिखती थी तक़रीर में क्रान्ति वैसी न पाई गई।
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