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आज के कवि
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आज के कवि
दो चार लाइने क्या सुना देते हैं
दो चार सौ यों हीं कमा लेते हैं।
अगर करना हो कविता पाठ
तो हो जाते हैं उनके ठाठ ।
हमने सोचा-
क्यों न “कवि डिप्लोमा कोर्स” चलाया जाय
वेरोजगार नोजवानों को रोजगार दिलाया जाय।
कविताएं कैसे बनाएँ कैसे चुराएँ
सबकुछ सिखाया जाय ।
और अंत में “डिग्री” देकर
उन्हें भी आशिर्बाद प्रदान किया जाय।
कविताएं कैसे बनाएँ कैसे चुराएँ…. वाह ! युक्ति तो गज़ब की है आदरणीय !