« जला दिया दिल अपना रोशनी जिन्हे देने को, केहते है आज वही हमारे सीने मे दिल नही; | वक्त छलावा » |
दूर हो के भी ….***
Hindi Poetry |
दूर हो के भी ….
दूर हो के भी वो दिल के आज कितने पास है
दिल में उसके अक्स का इक हसीं एहसास है
साथ चरागों के .तड़पता हूँ मैं तन्हा रात भर
उसकी आँखों में भी मेरी यादों की बरसात है
सुशील सरना
pyaari kavita!
thanks for ur sweet commenn aadrneey Swapnesh Tiwari jee
वाह वाह, क्या बात है…
क्या दूर रहने में पास रहने से भी ज्यादा मिठास है? 😉
thanx for ur sweet comment sir, and of-course distance always create separate sweet taste.