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अब यहाँ पतझड़ की ऋतु है …
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ना किसी गीतों मे धुन है
ना किसी बातों मे रस है
तेरे बिन लगता है जैसे,
वक्त भी ठहरा सा बस है
ना यहाँ मरने का गम है
ना यहाँ जीने की सुध है
तेरे बिन लगता है जैसे,
अब यहाँ पतझड़ की ऋतु है
To Be Continue…
Badhiyaa ….! 🙂
achcha hai