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मैं गाता रहता हूँ….! ….! (गीत)

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Hindi Poetry, Podcast

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मैं गाता रहता हूँ….! ….!  (गीत)

मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं  छुपाता  रहता  हूँ,
और हर मुश्किल में यारों, मैं गाता रहता हूँ….! 

मत जाओ मेरी सूरत पे ए मेरे यारों,
मैं हरदम यूँही हंसता, पर अन्दर धोखा हूँ,
मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं  छुपाता  रहता हूँ….! 

जिनसे की मैंने दोस्ती, उनने की दुश्मनी,
में पहले यारों क्या था, अब कहीं का नहीं,
पूछो मत मेरी जिन्दगी मैं कैसे जीता हूँ,
मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं  छुपाता  रहता हूँ ….!

जिनको चाहा था दिल से, वो बेवफा निकले,
मेरी बाँहों का हार है अब गैरों के गले,
गैरों में अपनी जिन्दगी संवारा करता हूँ,
मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं  छुपाता  रहता हूँ ….!

कैसे दिन जिन्दगी के, ऐसे ही गुजर गए,
सपने जो मेरे अपने, सपने ही रह गए,
प्यासे दिल की तनहाई के अब गीत गाता हूँ,
मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं  छुपाता  रहता हूँ ….!

मत जाओ मेरी सूरत पे ए मेरे यारों,
मैं हरदम यूँही हंसता, पर अन्दर धोखा हूँ,
मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं  छुपाता  रहता  हूँ,
और हर मुश्किल में यारों, मैं गाता रहता हूँ ….!

” विश्व नन्द “

4 Comments

  1. rajendra sharma says:

    Very nice voice sir

  2. sushil sarna says:

    मेरे दिल पे जो गुजरती, मैं छुपाता रहता हूँ,
    और हर मुश्किल में यारों, मैं गाता रहता हूँ….! waah kya baat hai …. bahut koob …. is sundr dilkash aavaaz kee prastuti ke liye haardik badhaaee SIR jee

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