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सांस है मुसाफिर…….

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Hindi Poetry

सांस है मुसाफिर…….

सांस है मुसाफिर इसको राह में ठहर जाना है 
जिस्म के पैराहन को जल के बिखर जाना है

दुनिया को मयखाना समझ .नशे में ज़िंदा रहे 
होश आया तो समझे कि ख़ुदा के घर जाना है

याद किसकी सो गयी बन के अश्क आँख में 
धड़कनें समझी न ये जिस्म को मर जाना है

ज़िंदगी समझे जिसे दरहक़ीक़त वो ख़्वाब थी 
सहर होते ही जिसे बस रेत सा बिखर जाना है

कतरा-कतरा प्यार में जिस के हम मरते रहे 
वो राह को रोके खड़े हैं हमको जिधर जाना है

दर्द ख्वाबों के हमारे कोई भला क्या जानेगा 
साथ हस्ती के इन्हें भी ख़ाक में मर जाना है

सुशील सरना

2 Comments

  1. Vishvnand says:

    Badhiyaa andaazebayaan aur khuubsoorat rachanaa
    Hearty commends …!

  2. sushil sarna says:

    thanks a lot for ur sweet comment aadrneey Vishvnand Sir

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