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आज की शाम
Hindi Poetry |
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कटती रही जिंदगी सूखी द्ररारों से होकर,
अब की सावन में डूब जाने को जी करता है,
कोई मस्तानी बारिश आ जायें कहीं से,
उसमें घुल जाने को जी करता है |
आज की शाम
आज की शाम शमाँ से बाते कर लूं
उसके चेहरे को अपनी आखों में भर लूं
फासले है क्यों उसके मेरे दरम्या
चलकर कुछ कदम कम ये फासले कर लूं
प्यार करना उनसे मेरी भूल थी अगर
तो ये भूल एक बार फिर से कर लूं
उसके संग चला था जिंदगी की राहों में
बिना उसके जिंदगी कैसे बसर कर लूं
परवाने को जलते देखा तो ख्याल आया
आज की शाम शमाँ से बाते कर लूं
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आज की शाम शमाँ से बाते कर लूं
बहुत सुंदर!