« नज़रअन्दाज़ करते हैं मगर अन्दाज अच्छा है | मैं अपनी मुहब्बत को … » |
जमा हुये हैं फिर रैली में सारे मनसबदार सखे
Hindi Poetry |
जमा हुये हैं फिर रैली में सारे मनसबदार सखे
जैकारा कुर्सीदाता का करते बारम्बार सखे
फिर चुनाव का मौसम आया पदयात्री हैं सड़कों पर
लड़ते हैं लहरा लहरा कर भाषण की तलवार सखे
साम दाम ले दण्ड भेद ले जुटे पैंतरेबाज सभी
शर्त रहे बद कौन बनाता है अबकी सरकार सखे
कदाचार भी सदाचार है जब तक पकड़ा जाय नहीं
भेद नहीं जब तक खुलता है सारे इज्जतदार सखे