« Social प्राणी | शबो रोज़ दीदे यार मिले » |
बचपन में रहने को…..
Hindi Poetry |
बचपन में रहने को
जवानी में जीने को जी चाहता है।
वो बचपन की टोली में
जवानी की होली में, बस जाने को जी चाहता है ।
वो बूंदों की फुआरों में
साबन की मल्हारों में, भीग जाने को जी चाहता है।
वो बचपन की मस्तियों में
पानी में बहती कस्तियों में, उड़ जाने को जी चाहता है।
वो जवानी के किस्सों में
ज़िंदगी के हिस्सों में, रम जाने को जी चाहता है ।
बेफिक्र रातों में
मित्रो की बातों में, खो जाने को जी चाहता है ।
दादी की कहानी में
मोहब्बत की रबानी में छा जाने को जी चाहता है।
Nice nostalgic poem of sweet memories of bygone days of simple pleasures of childhood and youth .
Reminds me of songs like – Bachpan ke din bhi kya din the…Hai, hai…..
Jawani ayi mast mast hum jiye…….
Kusum
thanks for appreciate.
thanks for appreciate.