« »

चली बिहंस बिजुरिया गिराती नित मुझको रह मारी

1 vote, average: 3.00 out of 51 vote, average: 3.00 out of 51 vote, average: 3.00 out of 51 vote, average: 3.00 out of 51 vote, average: 3.00 out of 5
Loading...
Uncategorized

चली बिहंस बिजुरिया गिराती नित मुझको रह मारी

आह भरा रह तकता बरबस तुझसे नयन मिला री 

चल घायल कर रहतीं तुम मैं राह पड़ा रह जाता

पल न चैन दिन रैन बसी छबि पलक याद कर आता

उतरा चाँद ज़मीं पर बस मुख तेरे री रह आया

खिसक हिमाला नीचे पयभर तुझमें थम रह आया

खिले कँवल री नयन हिरणिया चितवनि रही समाई

बसी कंठ कोकिला दन्त छबि भर मोती री आई

अलक सघन घन लोल कपोल बिजुरिया चमकी आई

पाँखुरि झीनी अधर गुलाब चांदनी विहंसी छाई

त्रिबली उदर लहरती वन चन्दन तन महका आया

कनक छुरी काया छरहर कटि धार कंटीली पाई

लोच लचक डोली डगमग री प्राणहरी रह आई

रति उतरी कलिका कोमल बन गुपचुप छिपी लजाई

पुष्प पञ्च धर थाम तरसता भटका काम इधर री 

तड़प ढूँढता इत उत रति से राह मिलन की प्यारी

प्राण अधूरे इक दूजे बिन राह न और कहीं री

 

 

___________________________________

3 Comments

  1. kusum says:

    Enjoyed humming this musical foksy song.
    Kusum

Leave a Reply