« कैसे सुलझे उलझन मेरी ….! | क्या हुआ क्यों हाथ काँपे आप के » |
चलो चेहरा बदल कर देखते हैं
Hindi Poetry |
चलो चेहरा बदल कर देखते हैं
तुम्हारे साथ चल कर देखते हैं
पहेली है जटिल ये जिन्दगानी
तो इसको आज हल कर देखते हैं
पलट कर वो नहीं देखे सुना है
चलो आगे निकल कर देखते हैं
नहीं दीदार है आसान उसका
सभी बेहद सँभल कर देखते हैं
पसन्द उसको सुना पत्थर बदन हैं
सो खुद को नारियल कर देखते हैं