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तुझसे मिल कर सुकून आता है
Hindi Poetry |
तुझसे मिल कर सुकून आता है
जी उखड़ता जो तू न आता है
क्यूं है बेचैन हर बशर पल मे
सबकी आँखों में ख़ून आता है
अब न रामायणो महाभारत
अब कोई कारटून आता है
तय है उसकी तकर्रुरी सुनते
जिसकी खातिर कि फून आता है
Vaah vaah, badhiyaa abhivyakti …!