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विविध दोहे :…..***

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Hindi Poetry

विविध दोहे :

कर्म बिना मेवा नहीं, बिना मान क्या शान ,
विधवा सी लगती सदा,सुर बिन जैसे तान

निंदा को .आतुर .रहें, .करें .नहीं गुणगान
मैल .हिया. में देख के ,..रूठ गए भगवान

मालिक. कैसा. हो गया , तेरा .ये .इंसान
बन्दे .तेरे .लूटता , ..बन कर वो भगवान

संस्कार .कहीं .खो गए ,..बढ़ती गई दरार
युगों .युगों .के प्यार का, टूट गया आधार

सुशील सरना

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