« मोम मगर दिल उनका ठण्डा यूँ कि सख़्त पत्थर जैसा | चश्म-ए-साहिल पे ….*** » |
इक मशाल क्रांति की ….
Hindi Poetry |
इक मशाल क्रांति की ….
इक मशाल क्रांति की .अब देश में जलनी चाहिये
भष्टाचार में .लिप्त . देश की सूरत बदलनी चाहिये
भाषणों से होगा भला न अब ज़रा भी इस देश का
सपने शहीदों के चाटती .दीमक निकलनी चाहिये
सुशील सरना
Very good timely message for Independence Day celebration.
Kusum
thanks for ur sweet comment aadrneeyaa Kusum jee
क्रांतिकारी रचना
thanks for ur encouraging comment Rajendra Sharma jee