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ख़मोशी जान खाये है चलो कुछ बात करते हैं
Hindi Poetry |
ख़मोशी जान खाये है चलो कुछ बात करते हैं
विवश कहने को कुछ तुमको न क्या जज्बात करते हैं
न रोटी रोज़गारी तो कहीं हमको नज़र आई
महज़ वादों की वो मुद्दत से बस बरसात करते हैं
बज़ा है कुछ न बोलो तुम ख़िरदवालों की महफिल में
तुम्हारे लफ्ज जाहिर ख़ामख़ा औक़ात करते हैं khirad vale-buddhiman
ज़माना वो है जब मतलब उसूले अव्वलीं ठहरा
बराये मस्लहत ही पेश सब सौग़ात करते हैं………usoole avvaleen-first principle,maslahat-vested interest
हुई मुद्दत तुम्हारी सूरते गुलनार को देखे
तुम्हारा इन्तज़ार आओ भी, हम दिन रात करते है
ज़माना वो है जब मतलब उसूले अव्वलीं ठहरा
बराये मस्लहत ही पेश सब सौग़ात करते हैं….वाह!!!
बेहतरीन