« ख़मोशी जान खाये है चलो कुछ बात करते हैं | मोम मगर दिल उनका ठण्डा यूँ कि सख़्त पत्थर जैसा » |
घर मेरा बिलआख़िर ये बाज़ार बना देंगे
Hindi Poetry |
घर मेरा बिलआख़िर ये बाज़ार बना देंगे
हर शै को बिकाऊ ये अय्यार बना देंगे
रिश्तों को बना देंगे हद दर्ज़ा वो बेमानी
हर शख़्स के सीने में दीवार बना देंगे
जज्बात की नर्मी को बतलायेंगे कमज़ोरी
अहसासे मुहब्बत को आज़ार बना देंगे
तारी है हुआ क्योंकर ये मौत सा सन्नाटा
कहते तो थे गुलशन को गुलज़ार बना देंगे
खेलों में भी बच्चों के बन्दूकें हुईं शामिल
मासूम सा बचपन वो ख़ूंखार बना देंगे
जीना भी हुआ बिल्कुल है जद्दो जहद जैसा
तय मान लो सबको ये बीमार बना देंगे
मुक़र्रर मुक़र्रर अशआर सारे, ग़ज़ल में सजे हैं मेआर सारे!
Sundar, arthpoorn, manbhaavan ….!